शेर और खरगोश की कहानी: Lion and Rabbit Story in Hindi With Moral

Lion and Rabbit Story in Hindi With Moral: नमस्कार दोस्तों आज कि यह कहानी Sher Aur Chatur Khargosh ki Kahani, शेर और खरगोश की कहानी की शिक्षा एक शक्तिशाली शेर और एक छोटे से खरगोश की है, जो हमें यह सिखाती है कि सही बुद्धिमानी और साहस से बड़ी से बड़ी मुश्किलों को भी पार किया जा सकता है। जंगल का राजा समझा जाने वाला शेर अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करता था, जिससे सभी जानवर डरते थे। लेकिन एक दिन, एक छोटे से खरगोश ने शेर को चुनौती दी और उसे यह सिखाया कि असली ताकत केवल शिकार करने में नहीं, बल्कि सही समय पर सही निर्णय लेने में होती है। इस कहानी के माध्यम से हम यह समझ सकते हैं कि सिर्फ शारीरिक ताकत से ही नहीं, बल्कि दिमागी सूझबूझ और साहस से भी बड़ी मुश्किलें हल की जा सकती हैं। तो आइये कहानी को पढना शुरू करें 

Lion and Rabbit Story in Hindi With Moral
Lion and Rabbit Story in Hindi With Moral

शेर और खरगोश की कहानी: Lion and Rabbit Story in Hindi With Moral

बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक शेर राज करता था। उसकी ताकत और डर से जंगल के सभी जानवर उसकी अधीनता स्वीकार करते थे। शेर का नाम था "सिंहराज"। वह अपने शिकार के बाद पूरे जंगल में घूमा करता और सभी जानवर डर-डर के रहते थे।

सिंहराज को लगता था कि जंगल में उसके अलावा कोई और जानवर शिकार करने लायक नहीं है। वह रोज़ किसी न किसी जानवर को शिकार बनाता और उसे खा जाता। सभी जानवर उसकी क्रूरता से परेशान हो गए थे। वे सभी डर के मारे कभी बाहर नहीं निकलते थे, क्योंकि कोई भी जानवर शेर से बच नहीं सकता था।

लेकिन एक दिन जंगल में एक छोटे से खरगोश का जन्म हुआ। उसका नाम था "मीठू"। मीठू का शरीर छोटा था, लेकिन दिल में बहुत साहस था। वह जानता था कि अगर शेर ने उसे कभी शिकार बनाया, तो उसका जीवन खत्म हो जाएगा। लेकिन मीठू को यह भी एहसास था कि अगर सभी जानवर शेर से डरते रहे, तो उसकी क्रूरता और बढ़ेगी। इसलिए मीठू ने ठान लिया कि वह कुछ ऐसा करेगा, जिससे शेर को अपनी गलती का अहसास हो।

एक दिन मीठू जंगल के बाकी जानवरों के पास गया और उन्हें एक योजना बताई। उसने कहा, "हम शेर से डरते रहते हैं, लेकिन अब हमें उसका सामना करना होगा। हम सब मिलकर शेर के सामने खड़े होंगे और उसे अपनी ताकत दिखाएंगे।" जानवरों ने मीठू की बातों पर विश्वास नहीं किया, क्योंकि वे शेर के डर से कांपते थे। लेकिन मीठू ने उन्हें यकीन दिलाया कि अगर वे एकजुट होकर काम करेंगे, तो शेर को अपनी ताकत का अहसास होगा।

अगले दिन मीठू शेर के पास गया और उसके सामने खड़ा होकर बोला, "हे सिंहराज, मैं जानता हूँ कि तुम जंगल के सबसे शक्तिशाली शेर हो, लेकिन मैं तुमसे एक सवाल पूछने आया हूँ। क्या तुम सच में सबसे शक्तिशाली हो?"

सिंहराज ने उसे घूरते हुए कहा, "क्या बकवास कर रहे हो तुम? मैं जंगल का राजा हूँ। मैं सबसे ताकतवर हूँ, और कोई भी मुझसे मुकाबला नहीं कर सकता।"

मीठू मुस्कुराया और बोला, "तुम सच में सबसे ताकतवर हो, लेकिन क्या तुमने कभी अपनी शक्ति का सही इस्तेमाल किया है? तुम केवल कमजोर जानवरों को शिकार बनाते हो, क्या तुम किसी से चुनौती स्वीकार कर सकते हो?"

सिंहराज को यह चुनौती स्वीकार करने का अहसास हुआ। उसे लगा कि वह बहुत ताकतवर है और छोटे से खरगोश से डरने की कोई वजह नहीं है। उसने कहा, "ठीक है, मैं तुम्हारी चुनौती स्वीकार करता हूँ। तुम मुझे किसी जानवर से मिलवा दो, जो मुझसे मुकाबला कर सके।"

मीठू ने शेर को एक योजना बनाई। उसने शेर से कहा, "मैं तुम्हारे साथ एक खेल करना चाहता हूँ। हम दोनों अपने-अपने इलाके में एक शिकार करेंगे। जो शिकार सबसे पहले करेगा, वही जीत जाएगा।"

सिंहराज को यह चुनौती आसान लगी। उसने सोचा, "मैं तो जंगल का राजा हूँ, मैं कुछ भी शिकार कर सकता हूँ।" और उसने मीठू की चुनौती स्वीकार कर ली।

खरगोश ने शेर से कहा, "लेकिन एक शर्त है, तुम जो शिकार करने के बाद जंगल के बीच में एक जगह पर बैठना, और मैं तुम्हें वहां मिलूंगा।" सिंहराज ने कोई सवाल किए बिना उसकी बात मानी और शिकार पर निकल पड़ा।

सिंहराज अपने शिकार में लग गया और मीठू ने जंगल में सारे जानवरों से मदद ली। सभी जानवर छिप गए और मीठू ने शेर के लिए एक जाल तैयार किया। शेर अपनी जीत को लेकर बहुत आत्मविश्वास से भरा हुआ था। वह शिकार करने के बाद निर्धारित स्थान पर पहुँचा, लेकिन उसे वहां मीठू नहीं मिला। शेर ने सोचा कि वह कहीं छिपा होगा, तो उसने शेर के लिए तैयार किए गए जाल को देखा और उसे फँसने से पहले बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन वह उसमें फँस गया।

जब शेर जाल में फंसा हुआ था, तब मीठू ने आकर उससे कहा, "सिंहराज, तुम अपनी ताकत से डराते हो, लेकिन तुमने कभी अपनी ताकत का सही इस्तेमाल नहीं किया। तुम्हारी शक्ति से कोई जानवर डरकर अपना हक नहीं छोड़ता। असली ताकत उस व्यक्ति में होती है जो खुद को समझकर, दूसरों की मदद से भी आगे बढ़े।"

सिंहराज ने अपनी गलती समझी और महसूस किया कि वह अपनी ताकत का सही इस्तेमाल नहीं कर रहा था। उसने मीठू से माफी माँगी और वादा किया कि वह अब किसी भी जानवर को बिना वजह परेशान नहीं करेगा।

नैतिक शिक्षा:
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि शक्ति का सही उपयोग करना बहुत ज़रूरी है। अगर हम अपनी ताकत का दुरुपयोग करेंगे, तो किसी भी दिन हमें उसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इसके अलावा, यह भी दिखाता है कि कभी-कभी सबसे छोटे व्यक्ति में सबसे बड़ी शक्ति और बुद्धिमानी छिपी होती है, और हमें किसी को भी उसके आकार या ताकत के आधार पर कम नहीं आंकना चाहिए।

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