Heart Touching Sad Love Story in Hindi | इमोशनल लव स्टोरी हिन्दी में

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Heart Touching Sad Love Story in Hindi | इमोशनल लव स्टोरी हिन्दी में

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Sad Love Story in Hindi For Girlfriend: हैलो तुम थोड़ा मेरी सीट पता लगा दोगे। मुझे नोटिस बोर्ड नही दिख रहा। कमर पे हाथ रखे वो लड़की मुझसे ऐसे मुखातिब थी जैसे उसका कोई हक हो मेरे पे। 

जबकि जान-पहचान के नाम पर हम दोनों में बस इतना ही था कि चंदे घण्टे पहले  दोनों एक ही बस से इस इंजीनियरिंग इंट्रेस का एग्जाम देने पहुंचे थे।

उसकी ऐसी बेतकल्लुफी देख मुझे जोरो की हंसी आई पर वो बुरा न समझे इसलिए मैने खुद को एहतियातन सामान्य रखते हुए उसका रॉल नम्बर पूछा। वो रॉल नम्बर बताते हुए खुशामद के अंदाज में बोली प्लीज़ हेल्प कर दो, मैं यहां तुम्हारे सिवा किसी को भी नही जानती.

मैंने मन ही मन सोचा कि जानती तो वैसे मुझे भी नही हो बस अपना काम निकालना है। उसका रोल नम्बर देखने मुझे नोटिस बोर्ड नही जाना पड़ा क्योंकि वो मेरे बाद ही था, तो जाहिर है सीट भी मेरे बाद वाली ही थी।

एग्जाम से निकलने के बाद दो घण्टे की  बातचीत में मुझे पता चला जितनी क्यूट वो दिखती है उससे ज्यादा क्यूट उसकी जनरल नॉलेज है।

एग्जाम देके वापस लौटा तो दिलोदिमाग में वहीं तारी थी। हल्की से मेकअप और कांधे तक बाल वाली वो लड़की हमेशा मेरे आँखो के आगे रहती थी। जिस गाने को सुनता वहीं गाना उस में फिट बैठने लगता। उसकी बेवकूफियत भरी बातों की यादें मेरी सारी बोरियत दूर कर देती।

शायद उसके संगत का असर मेरे पे भी हो गया था । इसलिए चार घण्टे साथ गुजारने के बाद भी न तो मैं उसका नम्बर मांग पाया था।  नही उसका नाम पूछने का जहमत उठा पाया था। 

अब ये हाल था कि रोज उसका चेहरा देखकर अनुमान लगाता की उसका नाम क्या हो सकता है और FB पे सर्च करता मगर रिजल्ट के रूप FB सर्चबॉक्स से मिलता तो सिर्फ अफ़सोस। बस एक ही उम्मीद बची थी ,मिलने की जब हम दोनों को एक ही बस से कॉउंसलिंग के लिए जाना था।

एक दिन वो मौका भी आ गया। कंधे पे बेग लटकाए और कान में ब्लूटूथ लगाए जब मैं बस में चढ़ा तो वो आगे से दूसरे नम्बर की सीट पे बैठी हुई थी। मैंने ठहर के उसपे एक भरपूर निगाह डाली । 

खुले बालों और नाक में सोने की बाली पहने हुए आज दिल मे उतर जाने की हद तक खूबसूरत लग रही थी। उससे नजरें मिली तो मुस्कुरा के मैं पीछे की सीट की तरफ बढ़ने लगा तभी उसने आवाज दी "अरे तुम्हारे लिए ही ये सीट रखा है" और अपने बगल में खाली पड़े सीट की तरफ इशारा किया।

ऐसा लगा कि मैंने आजतक जितने भी पुण्य  वाला चेक भगवान के यहां डाले थे।सबका सब भगवान जी ने क्लियर कर दिया हो। 

धर्म की कथाओ में मैंने सुना था कि अगर कोई गलती से भी किसी व्रत को भूखा रह जाए तो उसका फल उसे जरूर मिलता है। पिछला मंगल भूखा ही निकल गया था शायद उसका फल था ये।

मैंने अपने चेहरे पे हल्के से नापसंदगी के भाव लाये और जाके उसके पास बैठ गया ताकि उसे लगे कि मैं उसके पास बैठ कर उसपे अहसान कर हूँ।

बस जब चलने लगी तो कुछ देर इधर उधर बात करने के बाद उसने अचानक ही पूछ लिया क्या इतने दिनों से तुम मुझे याद कर रहे थे? 

चोरी पकड़े जाने से जब मैं गड़बड़ा गया और कुछ उटपटांग बोलता ही कि वो हंसते हुए बोली कि इन दिनों मुझे हिचकियाँ बेहद रही थी तो मुझे लगा कि तुम मुझे याद कर रहे होंगे क्योंकि दूसरा तो कोई है नही याद करने वाला। मैंने गहरा सांस लिया और बोला कि अच्छा फ़्लर्ट कर लेती हो। वो खिलखिलाकर हंसने लगी।

बस 8 बजे से चली थी ,अभी रात के बारह बजे चुके थे तो सबको भूख भी लगी गई थी। इसलिए ड्राइवर ने किसी लाइन होटल पे गाड़ी रोक दिया।मैं चाहता था की वो मेरे साथ डिनर करे पर पर उसने अपना मजबूरी बताया कि उसकी फ्रेंड भी है उसके साथ ही खाना है। 

आधे घण्टे बाद जब खाना खाके  स्प्राइट का केन पे काउंटर पे बिल जमा कर रहा था तो वो मुझे कार्नर वाली टेबल पे अपने फ्रेंड के साथ दिख गई । मैंने अपना केन उसके तरफ झुका के पूछा कि वो भी पीयेगी? जवाब में उसने मना कर दिया फिर भी मैंने दो केन लिया और वेटर से उसके टेबल पे पहुंचाने को बोल के होटल से बाहर निकल गया।

बाहर निकला तो बड़ी जोर से सिगरेट पीने का मन किया।। बेग चेक किया तो दो गोल्डफ्लेक और एक क्लोव था। मैंने क्लोव जलाई और होटल से थोड़ा दूर जाके कश लेने लगा। अभी दो चार कश ही लिए होंगे कि उसका फोन का फ्लैश लाइट मेरे चेहरे पे था। 

ऐसे तो मैंने उसके ड्रेस के हल्के से झलक से ही उसे पहचान लिया था फिर भी मैंने पूछा कौन हो जवाब में वो कुछ बोलने के बजाय फ़्लैश जलाए रही । फिर कुछ देर में खुद ही बोली," अच्छे बच्चे सिगरेट नही पीते और फिर  तुम तो अब मेरे अच्छे बच्चे हो।"  मैंने कश लेना जारी रखते हुए कहा ,"मैं कब से तुम्हारा बच्चा हो गया बाबू।

अगले पल ही वो दांत पीसते हुए सर पे सवार हो गई ," फेंकोगे भी या अभी और फुटेज खाओगे?  

मैंने सिगरेट होंठो से अलग किया और उसे घूरने लगा वो सीरीयस हो गई थी ," शुभ मजाक नही कर रही , सच में प्यार करती हूं तुमसे।

मुझे लगा कि माहौल बोझिल हो जाएगा इसलिए चुहल किया कि  ," मैं तो सोच रहा था की इस सिचुएशन में तुम मेरे होंठो पे अपनी होंठ रखोगी और पूछोगी की क्या जलता हुआ सिगरेट मेरे नर्म हुए होंठो से ज्यादा जरूरी है?

उसने हंसके मेरे हाथ से सिगरेट छीन के फेंका और बोली कि ," ओ मेरे सस्ते फेसबूकिया फिलास्फर चलो अब इलायची खाओ, नही तो रातभर मैं स्मेल आएगी और मैं सो नही पाउंगी।।

एडमिशन वगैरह होते होते वो इतना करीब हो गई

की गर्लफ्रैंड से कम आदत ज्यादा लगती थी। मैं खुद उसके इतने प्यार  से हैरत में पड़ जाता। 

जब भी साथ होती तो जमाने भर की बातें ढूढ लाती और सुनाती। मैं उसके चेहरे के तरफ तकता और खामोशी से सुनते रहता। अक्सर जब वो फ्यूचर और कैरियर की बातें करती तो मेरा हाथ अपने हाथ मे लेकर संजीदा हो जाती। उस वक्त उसके चेहरा ऐसे लगता जैसे बुद्ध ने अपनी सारी शांति और मासूमियत उस के चेहरे पे छोड़ रखी हो।

जब वो ज्यादा संजीदा हो जाती तब मैं चुहल करते हुए इश्क़ में ग्लोबल होते हुए कहता अरे बामियान की बुद्ध इतना भी शांत मत दिखो तुम्हें आसमान में उड़ाने के लिए । मेरे जैसा आतंकवादी आ चुका है। वो खिलखिला के हंसने लगती। तब मैं बस उसे देखता रह जाता निर्विकार।

अक्सर मुझे जबरदस्ती कैंटीन ले जाती। मैं पैसे देता तो फट पड़ती तुम्हारा पैसा भी तो मेरा ही पैसा है। 

अभी इसे खर्च कर लेते है, शादी के बाद उसे खर्च कर लेंगे।मैं चुप पड़ जाता।

खाने में न तो मुझे पिज्जा पसन्द था न ही डोसा , मगर  वो जबर्दस्ती मुझे खिलाती मैं ना नुकुर करता तो कहती मेरे हाथों में जादू है , तुम खाके देखो सब अच्छा लगेगा। 

इससे पहले ऐसे जिद करके मेरी माँ ही खिलाती थी , तब बचपन मे मैं तीखा होने के कारण मीट खाने से मना कर देता और वो मीट को पानी से धोकर खिलाती और कहती की अगर तुम नही खाओगे तो मैं दुबली जाऊंगी। 

ये बात मेरे मन मे भर गया था। बचपन में मैं उनपे गुस्सा होता तो कहता कि आगे से खाना नही खाऊंगा और आपको दुबला कर दूंगा।सब लोग हंसते मैं नही समझ पाता । बच्चा था न। उसके साथ अभी भी बच्चा ही बन जाता।

खाली क्षणों में कभी इतनी खुशी देखता तो ऐसा लगता कि कहीं कुछ बिगड़ न जाये। अक्सर मेरे साथ यहीं होता आया है जब ज्यादा खुश होता हूँ तो बड़ा दुख आने वाला होता है।।

यहाँ भी ऐसा ही कुछ होने लगा। 

धीरे धीरे चीजें बदलने लगी । मिलना जुलना कम हो गया । मैं उसे मेसेज करता कि "बदले बदले से सरकार नजर आते है तो उधर से जवाब केवल स्माइली में आता । 

इसी बीच दशहरे की छूट्टी हो गई। मैं घर आ गया यहाँ आकर उससे फोन पे बात कर पाना मुश्किल होता था । अक्सर रात को पांच मिनट के लिए टाइम निकाल के उसे काल करता मगर उसके बातों से कभी ऐसा नही लगता कि वो मुझसे बात करने में इंटरेस्ट ले रही हो। मैंने उसे कॉल करना छोड़ दिया । उसका कॉल भी आता तो नही उठाता।

छुट्टीयां बीतने के बाद जब कॉलेज लौटा तब तक सबकुछ पूरी तरह बदल चुका थी। 

अक्सर दोनो एक दूसरे को देखकर नजरअंदाज कर देते। कॉलेज के नए रूटीन का बहाना होता।मग़र मुझे सब कुछ पता था , अक्सर दोस्त आकर बताते की एक सीनियर के साथ वो लाइब्रेरी में टेबल शेयर कर रही है। मैने इसी वजह से लाइब्रेरी जाना छोड़ दिया ताकि अपने आंखों से उसको किसी और के साथ न देखूं।

किताबे रूम ले ही मंगा लेता। वैसे भी उनमें अब मन नही लगता। कॉलेज में आने के बाद जाने क्यों बिना नागा रोज रात को वो फ़ोन करती मैं उसके सामने इन सब चीजों का जिक्र छेड़ता तो वो ऐसे शो करती जैसे सबकुछ नॉर्मल हो । पुराने दिनों का जिक्र करता तो पढ़ाई के प्रति सीरियस होने का बहाना बनाने लगती। मुझे भी पढ़ने पे ध्यान देने की एडवाइस देने लगती।

मैं खुद में ही घुटने लगा , तंग आकर मैने एक दिन उसे कह दिया कि मेरे पास फोन न करो प्लीज़ अब सारे रिश्ते खत्म हो गए हैं। मुझे लगा कि इतना कहने पे भी वो कुछ तो सफाई देगी मगर वो सफाई देने के बजाय चहकते हुए बोली," शुभ अगर तुम्हें सबकुछ ख़त्म लगता है तो फिर मैं कौन हूँ तुम्हारी बात काटने वाली, जैसी तुम्हारी मर्जी।

बस एक काम करदो मेरी फोटोज डिलीट कर दो, मै तुम्हारी कर दूंगी। मैंने उसके फोटोज डिलीट कर दी और वालपेपर पे वापस माँ की तस्वीर लगा दी।

मुझे लगा अब यहाँ से खुद को समेट लूँगा । लेकिन अगले दिन फिर से उसका फ़ोन आगया मेरे  रिसीव करते ही वो चहक पड़ी ," कैसे हो ? लाइफ मजे में है या नही? मैं चुपी साधे हुए था वो मुझे तरह तरह के सवालों से उकसा रही थी ,  कोई गर्लफ्रैंड ढूंढी क्या ?  सिंगल होके कैसे फीलिंग आ रहे है? ऐसे सवाल पूछ पूछ के नश्तर की तरह भीतर चुभो रही थी। 

जिस्म के अंदर ऐसे लग रहा था , जैसे कांच की किरचियाँ बिखरी हुई हो और सीने में चुभ रही हो।

मैं चुप पड़ा बस उसके कॉल सुन रहा था आंखों से आंसू गिर रहे थे । गला रुंध गया था ।

फोन कटा तो महीनों बाद फिर से सिगरेट की तलब लगी । होस्टल की बाउंडरी तड़प के बाहर जाके गुमटी खुलवाई। 

और दो डब्बे सिगरेट लाके फूंक डाला इस बार फेफड़े के साथ साथ रूह भी धुएं से भर जाए ऐसी कोशिश थी। अगले दिन जब दोपहर को नींद खुली तो उठते ही FB पे स्टेटस सिंगल कर दिए। धीरे-धीरे ब्रेअकप की खबरें सबको लग गई ।  

मैं चुप सा हो गया था कॉलेज से आता और खुदको कमरे में पैक कर लेता था। किसी से काम भर से ज्यादा बातें नहीं करता व्हाट्सएप FB अन इंस्टाल  कर दिया। 

रोज शाम को मां से बात कर कर के उन्हें फ्यूचर प्लान की बकवास बताता। वो रोज रोज एक ही बात सुनके भी नही उबती ,उन्हें लगता कि मैं किसी बड़ी गलती कर बैठा हूँ। इसलिए प्रॉब्लम से लड़ने की बात कहती ।  

पापा को फोन करके रोज गुड़ नाईट बोलने लगा उन्हें लगता कि मैं किसी पेपर में फेल हो गया हूँ तो ढंके छुपे ढांढस बंधाते की बेटा कोई परिशानी हो तो मत घबराना दुख के दिन हंसते खेलते हुए काटने चाहिए। मैं किसी से कुछ नही कह पाता।

इधर रूममेट अक्सर बताता की कैसे वो किसी भी सेक्शन में जा रही है तो सब लड़के उसको मेरा नाम लेके ट्रोल करते है। जहां जाती है सब उसे जोर जोर से मेरा नाम लेकर बुलाते है वो उल्टे पैरों वापस लौट जाती है।

मेरे सामने जब कभी ये होता तो मैं लड़को को मना कर दिया करता ।

सिगरेट के धुएं में उसे भुलाने की कोशिश करता। धीरे धीरे साल बीता तो सबकुछ नॉर्मल होने लगा। ब्रेअकप का दर्द मिट चला हालांकि वो कही दिख जाती तो मैं नजरें फेर लेता। 

अपने अच्छे एकेडमिक और बेहैवियर के कारण मैं कॉलेज के डिसिप्लिन कमिटी  में  रिप्रेजेंटेटिव ऑफ स्टूडेंट्स चुन लिया गया था।

एक दिन रात को सिगरेट जला के जैसे ही मैंने बुक खोला क कि गार्ड ने आके बताया कि अर्जेंट है , डीन सर बुला रहे है ।

भागते हुए जब मैं डीन आफिस पहुंचा तो देखा कि वो उसी सीनियर लड़के के साथ बाहर खड़ी थी। 

अंदर पता चला कि वो तीन महीने से प्रेग्नेंट है। आज जब उसने लड़के से किसी बात पे झगड़ा कर लिया तो उसने उसे जोर से मार दिया। 

वो बेहोश हो गई थी। सर चाहते थे कि दोनों को कॉलेज से निकाल दिया जाए। मेरे से बस वो स्टूडेंट्स के रिएक्शन के बारे में जानना चाहते थे। 

मैंने पूरे एक साल बाद उसके तरफ आंख उठा के के देखा, आंखों के बगल में कालाधब्बा साफ नजर आ रहा था। मेरा कलेजा मुंह को आगया । कभी यहीँ आंखे थी जो मेरे आंखों से चाहकर भी ओझिल नही होती थी। 

मैंने डीन सर को बतलाया कि  लड़का तो पहले से आवारा है कोई कुछ नही बोलेगा। लड़की का एबॉर्शन करवा के निकालते हैं।  सर मुतमइन नही थे उनका कहना था इसके लाइफ की गारंटी कौन लेगा और पैसे कौन देगा। मां बाप जानेंगे तो ऐसे ही छोड़ देंगे।  मैंने उनसे प्रोमिस किया कि सर सबकुछ मैं कर लूंगा। वो फिर भी नही मान रहे थे। 

मैं अपने सारे ओरिजिनल डॉक्यूमेंटस उनके टेबल पे पटक आया कि अगर लड़की के जान को कुछ हुआ तो सारी रेस्पांसिबलिटी मेरी रहेगी। सर मान गए।

रूम आके अपना एटीएम और वैलेट खंगाला तो दो हजार रुपये  थे । कुछ सूझ नही रहा था। माँ ने बड्डे पे एक गोल्डेन रिंग दिया था उसे गिरवी रख कर कुछ पैसे जुटाए कुछ दोस्तो से उधार लेके उसका एबॉर्शन करवा के उसके होस्टल छोड़ आया। सर से रिक्वेस्ट करके उसके न निकालने का लेटर भी लेके दे दिया।

5-6 दिन की दौड़ धूप के बाद जब बैठा तो उसका व्हाट्सएप मेसेज आया ओपन किया तो, उसने मेरी FB डीपी के साथ अपनी कोलाज बनाके नीचे कैप्शन डाला हुआ था , आय एम सॉरी शुभ , मै बहक गई थी। तुम्हारा प्यार ज्यादा था,  मैं सम्भाल नही पाई। अब तुम्हारी राधा बनके जीवन गुजार लुंगी।

थोड़ी देर सोचने के बाद मैंने "फक ऑफ बिच" लिखा और सेंड कर दिया".मैं ख़ुद को दुबारा  इश्क़ के गलतफहमी में नही डाल सकता था।

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Conclusion

तो दोस्तों हम उम्मीद करते हैं कि आप लोगों को आज कि ये Sad Love Story in Hindi For Girlfriend, इमोशनल लव स्टोरी, Heart touching sad love story in hindi, True Sad Love Story in Hindi, Emotional Love Story in Hindi जरूर अच्छा लगा होगा तो कृपया कमेन्ट करके अपने विचार हमसे जरुर साझा करें धन्यवाद 

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