Tapka ka Dar Story | शेर और बुढ़िया की कहानी - टपका का डर

 नमस्कार दोस्तों आज के पोस्ट में हम Tapka ka Dar Story, शेर और बुढ़िया की कहानी - टपका का डर, शेर और टपका कि मजेदार कहानी लेकर आये हैं यह कहानी आपने अपने बचपन में जरुर सुनी या पढ़ी होगी, तो आइये बिना देरी के कहानी को शुरू करते हैं

Tapka ka Dar Story | शेर और बुढ़िया की कहानी - टपका का डर

बरसात का दिन चारों ओर पानी बरस था। दादी माँ का घर भीग रहा था। जल्दी ही छप्पर से पानी टपकने लगा। दादी माँ परेशान हो उठीं, परतु करतीं भी क्या ? छप्पर पुराना था।

थोड़ी देर में ओले भी पड़ने लंगे। बेर बराबर ओले ! उधर एक बाघ ओलों की मार से परेशान हो उठा। कूदते-फाँदते वह दादी माँ के घर के पास पहुँचा।

दादी माँ अंदर भात बना रहीं थीं। चूल्हे पर पानी टपक रहा था टप-टप, टप-टप।

वह झुंझला उठीं और "मुझे टपका से बोलीं जितना डर लगता है उतना तो बाघ से भी नहीं।”

बाघ ने सोचा- यह मुझसे तो नहीं डरतीं, मगर टपका से डरती हैं। टपका जरूर मुझसे भी कोई बड़ा जानवर होगा! बस, यह सोचते ही बाघ घबराया और सिर पर पैर रख कर भागा।

Tapka ka Dar Story in English

barasaat kaa din chaaron or paanii baras thaa. daadii maan kaa ghar bhiig rahaa thaa. jaldii hii chhappar se paanii ṭapakane lagaa. daadii maan pareshaan ho uṭhiin, paratu karatiin bhii kyaa ? chhappar puraanaa thaa.

thodii der men ole bhii padane lange. ber baraabar ole ! udhar ek baagh olon kii maar se pareshaan ho uṭhaa. kuudate-phaandate vah daadii maan ke ghar ke paas pahunchaa.

daadii maan amdar bhaat banaa rahiin thiin. chuulhe par paanii ṭapak rahaa thaa ṭap-ṭap, ṭap-ṭapa.

vah jhunjhalaa uṭhiin owr "mujhe ṭapakaa se boliin jitanaa ḍar lagataa hai utanaa to baagh se bhii nahiin.”

baagh ne sochaa- yah mujhase to nahiin ḍaratiin, magar ṭapakaa se ḍaratii hain. ṭapakaa jaruur mujhase bhii koii badaa jaanavar hogaa! bas, yah sochate hii baagh ghabaraayaa owr sir par pair rakh kar bhaagaa.

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