The Crow and Little Bird Moral Story in Hindi | कौआ और छोटी चिड़िया की कहानी हिंदी में

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The Crow and Little Bird Moral Story in Hindi | कौआ और छोटी चिड़िया की कहानी हिंदी में

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Kauwa Aur Chidiya Ki Kahani in Hindi

चिड़िया और कौए की कहानी: एक समय कि बात है एक नन्हीं चिड़िया और एक कौवा दोस्त थे एक दिन नन्हीं चिड़िया ने कौए को अपने घर खाने पर आमंत्रित किया। नन्हीं चिड़िया ने भोजन करने के लिए रात को बुलाया था और जब खाना तैयार हो गया तो उसने अपने दोस्त के आने का इंतजार करने लगी।

कुछ समय बीत गया, लेकिन कौवा नहीं आया। तो उस नन्ही चिड़िया ने आवाज देकर पुकारा: 'कहाँ हो तुम कौए? खाना ठंडा हो रहा है!'

इतना सुनकर कौवे ने उत्तर दिया।'हाँ मैं आ रहा हूँ, मैं आ रहा हूँ,' 'मैं अभी नहा रहा हूँ और इसके बाद मैं अपने लाल जूते पहनूँगा और मैं सज कर के साथ आऊँगा और फिर हम दोनों रात का खाना साथ में खाएँगे।'

इतना सुनकर उस नन्हीं चिड़िया ने कुछ देर और इंतजार किया लेकिन फिर भी कौवा नहीं आया।

आखिरकार, नन्हीं चिड़िया ने कौवे फिर से पुकारा: 'कौवा?  तुम कहाँ हो? रात का खाना ठंडा हो रहा है और मुझे बहुत जोर कि भूख लग रही है। क्या तुम मेरे साथ मेरे घर कि रसोई में शामिल होने जा रहे हो और मेरे साथ रात का खाना खाओगे?

कौए ने उत्तर दिया, 'हाँ, हाँ, मैं आ रहा हूँ। मैं बस अपना स्नान समाप्त कर रहा हूं, और फिर मैं अपने लाल जूते पहनूंगा और मैं और तुम- एकसाथ तुम्हारी रसोई में आऊंगा और हम रात का खाना एक साथ खाएंगे।

इसलिए नन्हीं चिड़िया ने कुछ देर और इंतजार किया, जब तक कि उसने खुद कि भूख के बारे में नहीं सोचा, 'मैं बहुत देर तक इंतजार कर चुकी हूं। मुझे भूख लगी है और मुझे रात का खा लेना चाहिए।'

 इसलिए नन्हीं चिड़िया ने अकेले ही खाना खाना शुरू कर दिया। खाना इतना स्वादिष्ट था कि बर्तन खाली होने तक उसने इसे पूरा का पूरा खा लिया।

कुछ देर बाद उसे कौवे के बारे में याद आया'अरे नहीं!' नन्हीं चिड़िया ने सोचा। 'कौवे के लिए तो कुछ भी नहीं बचा है क्योंकि मैंने ही सारा खा लिया है।'

नन्हीं चिड़िया बहुत घबरा गई जब उसने महसूस किया कि उसने रात का पूरा खाना खा लिया है और अपने दोस्त के लिए कुछ भी नहीं छोड़ा है।

'क्या होगा अगर कौआ जान जायेगा कि उसके खाने के लिए  खाना बचा ही नहीं है?' उसने मन ही मन सोचा। 'वह नाराज होकर मुझे ही खा सकता है!'

तो नन्हीं चिड़िया ने बर्तन को उल्टा करने का फैसला किया और जाकर रसोई में अपने छिपने की जगह ढूंढी।

तभी अचानक कौवा पेट पर हाथ परते हुए रसोई में आ गया। 'नन्हीं चिड़िया, नन्हीं चिड़िया,कहाँ हो तुम कौए ने उसे पुकारा, 'मैं आपके साथ खाना खाने के लिए आया हूं। आप कहां हैं?'

लेकिन नन्ही चिड़िया रसोई में छिपी रही, हर समय अपने मन में सोचती रही, अब मैं क्या कर सकती हूँ क्योंकि मैंने सारा खाना खा लिया है?'

कौवे ने किचन में चारों ओर देखा लेकिन नन्हीं चिड़िया कहीं नहीं दिखी। उसने एक बार फिर पुकारा, 'नन्ही चिड़िया, नन्ही चिड़िया, मैं आ गया हूँ। रात का खाना कहाँ है जिसे खिलाने  का आपने मुझसे वादा किया था?'

कौवे को जल्द ही एहसास हुआ कि सारे बर्तन खाली थे और रात का खाना नहीं था क्योंकि नन्हीं चिड़िया ने सब कुछ खा लिया था।

कौआ बहुत गुस्से में आग बबूला हो गया और उसने चूल्हे के नीचे लगी आग से एक गर्म लकड़ी उठायी और चिल्लाया, 'नन्ही चिड़िया, तुम जहां भी हो बाहर आओ या मैं तुम्हें इस गर्म लकड़ी से मारूंगा!'

नन्ही चिड़िया ने डर के मारे एक हल्की सी चीख निकाल गई और कौवे ने उसे रसोई की मेज के नीचे छिपा हुआ देख लिया। नन्ही चिड़िया बचना चाहती थी, लेकिन वह उड़ने में असमर्थ थी क्योंकि उसका पेट ज्यादा खाना खाने से इतना भर गया था कि वह उड़ नहीं सकती थी।

कौए ने नन्ही चिड़िया को गर्म लकड़ी से उसे नहीं मारा, लेकिन उसने बहुत सख्त आवाज में उससे कहा: 'नन्ही चिड़िया, तुमने मुझे रात के खाने पर क्यों आमंत्रित किया, जब तुम्हे  सब कुछ खुद ही खाना था ? तुमने मेरे लिए कुछ भी क्यों नहीं छोड़ा? क्या तुम नहीं जानते कि ऐसी बातें कहना बहुत बुरा होता है जिस बात का आप मतलब नहीं रखते?'

नन्हीं चिड़िया वास्तव में खुद बहुत दोषी महसूस कर रही थी और उस दिन से उसने कभी भी ऐसा ना करने का वचन दिया, कौवे ने भी उसे माफ़ कर दिया 

कहानी से शिक्षा - Moral Of The Story

इस कहानी से हमको यह सीख मिलती है कि यदि आप किसी कि निमंत्रण देते हो तो आपको उसके आने का इंतजार करना चाहिए 

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Conclusion

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