हेल्लो दोस्तों आप सभी का स्वागत है the-moral-story.com के एक नए पोस्ट में इस लेख में हम Frog and Rat Friendship Story In Hindi, मेंढक और चूहा की कहानी लेकर आये हैं जो कि एक मजेदार कहानी है तो चलिए The Frog And The Rat Story In Hindi, Chuha aur mendhak ki kahani story, Frog And Mouse Story In Hindi को पढना शुरू करते हैं
Chuha aur mendhak ki kahani story |
Frog and Rat Friendship Story In Hindi | मेंढक और चूहा की कहानी
Chuha aur mendhak ki kahani story: बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक छोटा तालाब था। जिसमें एक मेंढक रहा करता था। वह बहुत अकेला था इसलिए उसे एक दोस्त की जरुरत थी। एक दिन उसी तालाब के पास जो पेड़ था उसके नीचे से एक चूहा निकला। चूहे ने उस दुखी मेंढक को देखकर उससे पूछा क्या बात है तुम उदास क्यों हो। मेंढक ने चूहे से कहा, क्या बताऊँ मेरा एक भी दोस्त नहीं है, जिससे में अपने मन कि बातें कर सकूं। इतना सुनते ही उस चूहे ने खुश होते हुए जवाब दिया, ‘अरे बस इतनी सी बात! आज से तुम मुझे अपना सबसे अच्छा दोस्त समझो.. मैं हमेशा तुम्हारे साथ हर समय रहूंगा... इतना सुनते ही मेंढक बहुत ही खुश हुआ...
अब वे दोनों कई घंटों एक दूसरे से बातें करते थे। मेंढक तालाब से निकलकर कभी पेड़ के नीचे चूहे के बिल के पास चला जाता, तो कभी दोनों उस तालाब के बाहर बैठकर ढेरो बातें करते। दोनों के बीच की दोस्ती समय बीतने के साथ काफी गहरी होती जा रही थी। वो दोनो अपने मन की हर बात एक दूसरे से साझा करते थे।
लेकिन कुछ समय बाद मेंढक के मन में विचार आया कि मैं ही सिर्फ चूहे के बिल में जाता हूं, परन्तु चूहा मेरे तालाब में कभी नहीं आता... ये सोचकर मेंढक ने चूहे को पानी में लाने की एक तरकीब निकाली।
मेंढक ने चूहे के बिल के पास जाकर कहा, ‘दोस्त हमारी दोस्ती काफी गहरी हो गई है...इसलिए हमें अब कुछ ऐसा करना चाहिए,,,,, जिससे एक दूसरों की याद आते ही हम दोनों एक दुसरे से मिल जाए।’ चूहे ने भी हामी भरते हुए कहा, हां जरूर... लेकिन हम ऐसा क्या करेंगे जिससे यह संभव हो?’ मेंढक तुरंत बोला, अगर हम एक रस्सी से तुम्हारी पूंछ और मेरा एक बार पैर बांध लें, तो जैसे ही हममें से किसी को किसी कि याद आएगी तो हम उस रस्सी को खींच लेंगे,,, जिससे हमें आभास हो जाएगा।
’ भोले चूहे को मेंढक कि चाल का जरा भी भान नहीं था, इसलिए चूहा इसके लिए तैयार हो गया। मेंढक ने जल्दी से अपने पैर और चूहे की पूंछ को एक रस्सी से बांध दिया।
इसके बाद मेंढक ने तुरंत पानी में छलांग लगा ली। मेंढक बहुत खुश था, क्योंकि उसकी चाल काम कर गई थी। अब, जमीन पर रहने वाले बेचारे चूहे की पानी में सांस घुटने लगी। कुछ देर छटपटाने के बाद वह चूहा मर गया।
एक बाज आसमान में उड़ते हुए यह नजारा देख रहा था,,, जैसे ही पानी में वो मरे चूहे को पानी में तैरते हुए देखा तो बाज तुरंत झपट्टा मरकर उसे अपने पंजे में पकड़कर उड़ गया,, अब वह दुष्ट मेंढक भी उसी चूहे कि पूँछ से बंधा हुआ था.... इसलिए वो भी उस बाज के पंजे में फंस गया था। मेंढक को पहले तह समझ ही नहीं आया कि आखिर हुआ क्या...
वो जबतक यह समझता कि वो आसमान में उड़ कैसे रहा है,,, उसने जब सर उठाकर बाज को देखा तो वो डर से सहम गया...उसे अब अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन तबतक बहुत देर हो चुकी थी... वो बाज़ चूहे के साथ साथ उस मेंढक को भी खा गया.
कहानी से शिक्षा - Moral Of The Story
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दूसरों का बुरा करने की सोच रखने वालों खुद बुरा हो जाता है। जो जैसा कर्म करता है, वो वैसा ही भुगतता भी है। इसलिए कभी भी बुरे लोगों के साथदोस्ती नहीं करनी चाहिए और कोई भी कार्य करने से पहले हमें उसके परिणाम के बारे में सोचना चाहिए
Conclusion
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